Saraswati Puja
सरस्वती पूजा हिन्दुओं के लिए एक बहोत ही प्रमुख त्योहार है। सरस्वती पूजा बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती मां का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन सरस्वती मां की पूजा अर्चना की जाती है। हिन्दुओं के कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार माघ महीने के पांचवे दिन पर हर वर्ष मनाया जाता है, जो कि जनवरी अथवा फरवरी के बीच में आता है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार सरस्वती मां को विद्या और ज्ञान की देवी माना गया हैं।सरस्वती मां हंस पर विराजती
है। यह हंस ज्ञान का सत्यासत्य - निर्णय का बहोत ही बड़ा प्रतीक माना गया हैं। उजला
कमल सरस्वती जी का आसन है। जो की सादगी अथवा स्वच्छता का प्रतीक है। सरस्वती मां का
वस्त्र सफेद होता है। इससे हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि जो विद्या और ज्ञान पाना
चाहते है उनके लिए रंगीन अथवा कीमती वस्त्रों का कोई महत्व अथवा उपयोग नही है।
सरस्वती मां के एक हाथ में वीणा हे, जो यह बताती हैं कि विद्या और ज्ञान के साथ
संगीत का भी होना बहोत आवश्यक है। सरस्वती मां के दूसरे हाथ में पुस्तक हे, जो
ज्ञान अथवा शिक्षा देती हैं। सरस्वती मां की पूजा -आराधना से हमे ज्ञान का प्रकाश
मिलता है। सरस्वती मां पूजा - अर्चना विदयार्थियो के लिए अति शुभ एवं वरदायिनी हैं।
बसंत पंचमी का त्योहार पूर्वी भारत, पश्चिम बंगाल अथवा केरल में बड़े ही उत्सव और
धूम - धाम से मनाया जाता है।
बसंत पंचमी तक ज्यादातर फसले तैयार हो जाते है। इसलिए
इनकी खुशी में सभी भारतीय बसंत पंचमी का त्योहार बहोत ही धूम - धाम से मनाते है।
बसंत ऋतु को ऋतुओं का सबसे बड़ा राजा माना जाता है। बसंत ऋतु के आने से मनुष्य ही
नही बल्कि अन्य सभी जीव -जन्तु, पेड़ -पोधे खुशी से नाच रहे होते हैं। सरस्वती पूजा
का सबसे बड़ा उदेश्य यह हे कि इस दिन हम सभी मन, कर्म अथवा वचन से मां सरस्वती के
चरणों में अपने को सौप दे अथवा उनसे अच्छा ज्ञान अथवा विचार पाने की प्रार्थना करे
।
सरस्वती पूजा की तैयारी कुछ दिन पहले से कर दी जाती है। लोग पूरे उत्साह के साथ
साफ - सफाई चालू कर देते है। बच्चे अपने आस - परोस के लोगो से पैसे चंदे के रूप मे
जमा करते हैं। यह पूजा 2दिन का होता है। पहले दिन की पूजा तो 11 बजे तक समाप्त हो
जाता है। उसके बाद लोग प्रसाद ग्रहण करते हे, और उसके बाद सरस्वती मां की आशीर्वाद
लेते हैं। उसके बाद अपने से बड़े को प्रणाम करते हैं। अता: दूसरे दिन पूजा समाप्त
होने के बाद प्रतिमा विसर्जन किए जाते है, जो की नदी अथवा तालाब मे विसर्जित किया
जाता है।
इस अवसर पर एक भव्य जुलूस का आयोजन भी किया जाता है। लोग नाचते - गाते
अथवा नारे लगा के सरस्वती मां की प्रतिमा को विसर्जित करने चले जाते है। सरस्वती
पूजा हमारे लिए बहोत बड़ा ज्ञान का प्रकाश लाती है। सरस्वती मां हमे सच्ची विद्या
की शिक्षा देती हैं, और उस दिन हम यह प्रतिज्ञा लेते है की पढ़ - लिखकर हम अपना,
अपने परिवार अथवा देश का मान ऊंचा करेंगे। हर साल सरस्वती पूजा हमे ऐसे ही उदेसय दे
जाती है।
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